सत्य क्या है ? What's the Truth ?
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सत्य क्या हैं ? क्या किसी से जूठ नही बोलना ही सत्य हैं ? नही, सत्य वह हैं जिसे बोलने से किसी भी प्राणी को हिंसा तथा दुःख न पहुचे। लेकिन किसी को खुश करने के लिए या मस्का लगाने के लिए बाते बनाना सत्य नही माना जा सकता हैं।
सत्य का अर्थ हैं सच्चाई से, ईमानदारी से ओर दिल से कही गई ओर करी गई बात से हैं। अर्थात सच्चाई हमे अपने विचार में, वचन में ओर कर्म से शुद्ध करनी चाहिए।
विचारो से सत्य होने से तात्पर्य हमे किसी के लिए अपमानजनक, अनिष्ट ओर अहित करने वाले विचारो से मुक्त रहना हैं। किसी भी व्यक्ति के लिए ऐसे विचारो को अपने अंदर नही पनपने देना हैं। क्योंकि जैसे व्यक्ति के विचार होते हैं व्यक्ति वैसा ही बन जाता हैं।
यदि किसी से आपको ईर्ष्या हैं या किसी के बहकावे में आकर आप अपने विचारों को उसके लिए अच्छे नही रखते हैं तो फिर आप के अंदर उस व्यक्ति के लिए नफरत भरती जाएगी और एक वक्त ऐसा आएगा कि मौका देख कर आपका दिमाग आपका साथ छोड़ देगा और उक्त व्यक्ति से झगड़ बैठेंगे।
वचन से सत्य होने से तात्पर्य किसी भी व्यक्ति से उसके साथ बातो से, शब्दो से जुड़ना लेकिन कैसे शब्दो से, क्या बोले हम। यदि आप अपनी माता से कहे कि आप मेरे पिता की पत्नी हो ये बात सम्पूर्ण सत्य हैं लेकिन शब्दो मे मिठास नही हैं। इसलिए हमें ऐसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए जो सत्य हो, मीठे हो लेकिन सिर्फ मीठे होने से काम नही चलेगा हितकारी भी होने चाहिए तभी वो सत्य कहलाएगा।
लेकिन ये सब होने के बावजूद भी यदि आप लगातार बोलते ही रहो तो भी कोई फायदा नही हैं। आपको एक सीमित समय मे ही बोलना चाहिए रेडियो की तरह लगातर बोलते रहने से कोई फायदा नही ओर सुनने वाला आपकी बात पर ध्यान नही देगा।
यदि सत्य बोलने से किसी को कष्ट होता हैं तो ऐसा सत्य बोलने का क्या फायदा। ऐसे ही जैसे ऐसी अहिँसा का क्या फायदा जिससे आपकी ही पिटाई हो जाए और आप कुछ न कर सको।
कर्म में भी सत्यता होनी चाहिए। यदि आप किसी के लिए कोई काम कर रहे हो लेकिन वो पूरी ईमानदारी से नही करते हैं तो फिर वो काम करने का कोई फायदा नही। भले ही अपने काम पूर्ण कर लिया हो लेकिन इसमें सत्यता बिल्कुल नही थी। आपके मन मे ईमानदारी से काम करने की कोई जिज्ञासा नही थी।
सत्य किसे कहा जाए ? किसी भी जीव को आपकी वाणी से दुःख न हो, आपके व्यवहार से दुःख न हो ओर आपके मन में भी किसी के लिए अप्रिय विचार न आये वही सबसे बड़ा सत्य हैं।
"सत्यमेव जयते" यानी सत्य की हमेशा विजय होती हैं।सत्य छुपाया जा सकता हैं, प्रताड़ित किया जा सकता हैं लेकिन सत्य को कभी पराजित नही किया जा सकता। एक न एक दिन सत्य जरूर बाहर आ ही जाता हैं। किसी भी धर्म की किताब उठा कर देख लो सभी के मूलभूत सिद्धांतो में से सत्य एक जरूर हैं।
सत्य जीवन का अभिन्न अंग हैं और सच्चाई की राह पर चल थोड़ा मुश्किल जरूर हैं लेकिन नामुमकिन नही। यदि आप जीवन मे सत्य के मार्ग पर चल रहे हैं तो सुकून हैं।
सत्य क्या हैं ओशो ने कहा की जो कल था आज हैं और कल भी रहेगा वही सत्य हैं और जो कल नही था आज हैं और फिर कल नही रहेगा वह असत्य हैं। अर्थात
सत्य की परिभाषा क्या हैं ? सत्य की इतनी ही परिभाषा हैं जो सदा था, सदा हैं और सदा रहेगा वही सत्य हैं।
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