केवली कौन होते हैं। who are kevali ?
केवली कौन हैं।
वो व्यक्ति जिसने अपनी कठिन साधना से केवल ज्ञान प्राप्त किया हैं वो केवली हैं। केवली होने का अर्थ है आपको संसार से टूटना ओर एक परम शक्ति से जुड़ना। वह व्यक्ति जो वस्तु के हर एक दृष्टिकोण को देख सकता हैं वह दर्शन तथा ज्ञान से पूर्ण होता हैं वही केवली हो जाता हैं।
केवल ज्ञान को प्राप्त करना और केवली होना साधारण काम नही हैं। केवली होने की राह पर यदि आगे बढ़ना हैं तो सर्वप्रथम संसार के सभी मोह से अलग होना हैं। आपके अंदर लेस मात्रा का भी यदि मोह बचा हैं तो आप इस मार्ग पर कभी आगे न बढ़ सकोगे।
केवल ज्ञान प्राप्त व्यक्ति सांसारिक मोह मायाजाल से दूर होता हैं। केवल्य प्राप्त व्यक्ति वह सबकुछ जान ओर देख सकता हैं जो साधारण व्यक्ति इसकी कल्पना भी नही कर सकता हैं। जैसा कि अनेकान्तवाद और स्यादवाद में व्यक्ति सिर्फ एक दृष्टिकोण को ही देखता व समझता हैं ठीक उसके विपरीत केवल्य प्राप्त व्यक्ति वस्तु के हर एक गुण, धर्म और दृष्टिकोण को समझता हैं और जानता हैं।
केवल्य प्राप्त व्यक्ति को किसी से भय नही, वह संसार मे होने वाली प्रत्येक घटना को प्रकृति का नियम मानता हैं। वह संसार के सभी सुख दुःख से परे एक वीतरागी होता हैं। एक साधारण व्यक्ति संसार मे होने वाली हर घटना पर सुख दुख प्रकट करता हैं, अपनी प्रतिक्रिया देता हैं। किसी न किसी रूप में अपने आप को जोड़ के देखता हैं। लेकिन कैवल्य प्राप्त व्यक्ति इन सभी को संसार का नियम मानता हैं। जब किसी को दुःख या सुख मिलता हैं वो उसके कर्मो का भोग हैं ओर वो आपको भोगना ही पड़ता हैं।
यदि किसी दुखी व्यक्ति की यदि आपने मदद की तो इसका मतलब हैं अपने उसको दुःख भोगने से वंचित कर दिया, उसको उसके कर्मो का फल भोगने से अलग कर दिया हैं। जिस व्यक्ति ने जैसा कर्म किया हैं वैसा ही फल मिलेगा इसलिए संसार मे किसी की मदद करना मतलब केवल्य ज्ञान प्राप्त केवली की कही बातो का उलंगन होगा।
केवली या केवल्य ज्ञान का सीधा मतलब जैन दर्शन और भगवान महावीर ओर उनसे पहले के 24 तीर्थंकर से हैं। यदि भगवान महावीर किसी व्यक्ति को दुख भोगते देखते तो उसकी मदद नही करते, उसके उसके दुःख भोगने से वंचित नही करते।
अतः केवली तथा केवल्य ज्ञान का अर्थ हुआ ऐसा व्यक्ति जो संसार के मोह माया से क्षीण हो, वीतरागी हो, अनेकान्तवादी हो, दर्शन हो, ज्ञान हो और सर्वज्ञ हो।
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