ध्यान कैसे करे ओर इससे क्या फायदा


भारतीय परम्परा में ध्यान एक ऐसी पद्धति हैं जिसका हम हजारो वर्षो से अनुकरण करते आ रहे हैं। समय के साथ साथ इसको हमने कभी छोड़ा, कभी कम किया, फिर अपनाया और ऐसे ही उतारचढ़ाव हमने बहुत देखे हैं लेकिन ध्यान या मेडिटेशन को हमने अपने जीवन से कभी अलग नही किया लेकिन इसके महत्व को नजर अंदाज जरूर किया गया। 

ध्यान के महत्व को मेरे इस ब्लॉग को पढ़ने वाले लोग भलीभांति जानते हैं लेकिन आज भी समाज मे ऐसे बहुत से वर्ग के लोग हैं जिनको ध्यान लगाने या meditation के संबंध में जानकारी शून्य होगी या उनको ऐसा लगता होगा कि ध्यान में जाना या करने मे काम तो सिर्फ मंदिर के पंडितो या ऋषि मुनियों के ही होता होगा। हमने में टीवी सिरीज़ ओर धार्मिक कार्यक्रम में यही देखा हैं कि ध्यान में बैठने का काम तो सिर्फ भगवान या ऋषिमुनि ही किया करते हैं ओर यही बात हमारे दिमाग मे भी विकसित हो जाती हैं और पुख्ता तब हो जाती हैं जब हम कही आश्रम, अखाड़ो या मंदिरों में मुनिओ, साधुओ को ध्यान में बैठे देखे हैं। हमें ऐसे लगने लग जाता हैं कि ध्यान में बैठने का काम तो सिर्फ इन प्रभुत्व लोगो का ही हैं। 


ध्यान में बैठना ओर ध्यान लगाना ये सिर्फ साधु संतों का ही काम नही हैं इसकी अधिक आवश्यकता तो सांसारिक घरेलू लोगो को ज्यादा हैं। यदि हम सांसारिक लोग ध्यान विधि को करते है और यदि दिन में 5 से 30 मिनिट भी कर लेते हैं तो यह हमारे जीवन मे बहुत से बदलाव ला सकता हैं। 

ध्यान लगाने का सबसे बड़ा फायदा तो ये की हम यह सिख सकते हैं कि मन को शांत कैसे किया जाए। अगर आप ध्यान में उतरते हैं तो आपको महसूस होगा कि आपको मानसिक रूप से बड़ी शांति मिल रही हैं। मन को शांत कर पा रहे हैं। ध्यान एक ऐसी विधि हैं यदि इसे लगातार महीनों ओर सालो तक किया जाए तो यह भी सिख सकते हैं कि अपनी इंद्रियों को भले ही कुछ समय के लिए लेकिन केंद्रित कर सकते हैं और हम जो भी काम कर रहे हैं वहां लगा सकते हैं। 


आपने अक्सर सुना होगा । अरे भाई ! इस काम को थोड़ा ध्यान से करना । इसका क्या मतलब हुआ। हम किसी को जब भी कोई काम देते हैं तो ऐसा क्यो कहते हैं कि इसको ध्यान से करना। इसका सिर्फ एक ही मतलब हैं कि वो हमारा काम मन लगा कर, अच्छे से करे और कोई गलती या कमी की संभावना ना रखे। यहाँ पर ध्यान शब्द का वोही मतलब हैं जो ध्यान में बैठने या मैडिटेशन की बात कर रहे हैं। इसको बिल्कुल भी भिन्न नही किया जा सकता। मैं आपके इस डाउट या संदेह को दूर कर देना चाहता हूँ की ध्यान या मैडिटेशन का मतलब हमे एक जगह बैठ कर, पद्मासन में बैठ कर या जो हमारे भगवान शिव, महावीर या बुद्ध बैठ कर किया करते थे वैसे ही करना जरूरी हैं। नही, ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नही हैं ध्यान को आप किसी भी घड़ी, किसी भी समय और अपने रोजमर्रा के काम के साथ जोड़ कर कर सकते हैं। 

अगर आप ध्यान या मेडिटेशन करना चाहते हैं या आपके मन मे सवाल हैं कि परमात्मा का ध्यान कैसे करे ? या आप सीखना चाहते हैं कि ध्यान को सांसारिक जीवन मे रोजमर्रा के काम काज के साथ कैसे किया जाए तो आप मेरी इन बातों को ध्यान लगा कर पढ़े मतलब मैने यह पर भी ध्यान शब्द इस्तेमाल किया। 


ध्यान का मतलब ही यही होता हैं कि हम कोई भी कम करे, कैसा भी काम करे हमारा मन, मस्तिष्क और शरीर की पूरी क्षमता वहा होनी चाहिए। कहने का मतलब हम जो भी कर रहे हैं हमे वही होना हैं। 

अगर आप रास्ते पर चल कर आफिस जा रहे हैं तो आपका ध्यान आपके चलने में ही होना चाहिए। आप चलते जाए और अपने पांव की गति पर ध्यान दे। आपके शरीर की बनावट पर ध्यान दे कि चलते हुए आप कैसे दिख रहे हैं। आप अपने हर कदम को दिमाग मे रखे कि कोनसा कदम पहले पड़ रहा हैं जैसे आप परेड करते हैं तब लेफ्ट राइट लेफ्ट करते हैं उसी तरह जब आपका लेफ्ट पांव आगे बढ़े तो आपको लेफ्ट मन मे सोचना हैं और राइट के साथ राइट। अगर आप ऐसा कुछ दिनों तक भी ध्यान केंद्रित कर करते हैं तो ध्यान और मेडिटेशन को प्राप्त कर पाएंगे। ऐसे ही आपको हर काम मे करना हैं। जैसे आप पढ़ने बैठते हैं और आपका ध्यान कही और जा रहा हैं इसका मतलब ये हुआ कि आपकी इंद्रिया, आपका मन आपके वश में नही हैं और आप जब भी किसी से बात करेंगे और पूछेंगे की मेरा पढ़ाई में मन नही लगता तो क्या करूँ तो सभी आपको एक ही सलाह देंगे ध्यान करो या मेडिटेशन करो। 

बात घुमा फिरा कर वही आ गई कि आखिर करना क्या हैं। बस करना आपको ये हैं कि जब भी आप कोई भी काम करो आपको सिर्फ उसी में सोचना हैं। आपको प्रेजेंट में जीना होगा। आपका मन बार बार भटकेगा लेकिन आपको खींच कर वापस वही लाना हैं। ध्यान को सिर्फ एक या दो दिन में प्राप्त नही किया का सकता लेकिन लगातार प्रयास करते रहने से सीधी हासिल की जा सकती हैं। 


आपको इसकी शुरुआत करनी ही पड़ेगी। आपको पहला कदम उठाना ही पड़ेगा। यदि आप ये सोचते हैं कि मै ध्यान में बैठता हूँ लेकिन होता नही तो आपको इसकी विधि को सीखना होगा। इसके लिए आपको में पुद्गल ज्ञान यूट्यूब चैनल का लिंक बता रहा हूँ। यहां से आप सुन कर ध्यान विधि को सिख सकते हैं। ध्यान में बैठने के लिए या ध्यान लगाने के लिए किसी विशेष समय या व्यवस्था की जरूरत नही हैं। ध्यान कभी भी किसी भी समय जो आपको अच्छा लगे कर सकते हैं बशर्ते आप फ्री हो। ध्यान लगाने के लिए आपको थोड़ा एकांत खोजना चाहिए और अगर ऐसा संभव ना होतो गबराये ना भीड़ भाड़ वाली जगह भी चलेगी बस आपको मेहनत थोड़ी ज्यादा करनी पड़ेगी। आपने कभी घोर किया होगा जब आप किसी काम में व्यस्त होते हैं तो इतने तल्लीन हो जाते हैं कि आपको समय का बिल्कुल पता ही नही चलता, आपको ना भूख लगती हैं ना प्यास लगती हैं और ना ही ये पता चलता हैं कि आपके आस पास क्या हो रहा हैं। मैं आपको बता दु यही ध्यान मुद्रा हैं और ऐसा आपको हर काम मे करना हैं। जिस दिन आप ये सिद्धि हासिल कर लेंगे समझ लो अपने ध्यान को प्राप्त कर लिया। 

जैसा कि मैंने बताया ध्यान दिन के किसी भी समय किया जा सकता हैं। आप किसी भी मुद्रा में बैठे, आप पद्मासन में बैठ सकते हैं, कुर्सी पर रिलेक्स होकर बैठ सकते हैं, आप खड़े होकर भी ध्यान कर सकते हैं यदि इसमे आपको आराम और सहूलियत मिलती हैं तो। आप लेटते हुए और सोने की मुद्रा को भी ध्यान में बदल सकते हैं। 


जब आप ध्यान में बैठे तो सबसे पहले अपने इष्ट को याद करे, आप अपने माता पिता, भाई बंधु या ऐसा व्यक्ति जिसे आप बहुत मानते हैं उसे भी याद कर सकते हैं लेकिन व्यक्ति इसे भगवान से बढ़कर कभी न मान सकेगा। अपने इष्ट को याद करले, अपने मन मे उसकी तस्वीर बना दे और अपने शरीर की सारी ऊर्जा को उस पर केंद्रित कर। सोंचे की आपके शरीर का रोम रोम, रक्त की हर बून्द, सारी इंद्रिया सभी एक जगह आंखों के समीप कपाल पर जहाँ तिलक लगाते हैं वहाँ खिंची चली आ रही हैं। महसूस करे अपनी सांसो को, उसकी गति को धीमा करे, आहिस्ता आहिस्ता सांसो को अपने अंदर खिंचे, उसे थोड़ी सी देर रोके ओर आहिस्ता आहिस्ता धीमे धीमे उसे छोड़ते रहे। ये प्रयोग बार बार करे। आपको अपनी सांसो पर कंट्रोल पाना हैं। याद रहे जब आप सांस को अंदर खीचते हैं और फिर उसको छोड़ते हैं उसके बीच आपने जितनी देर श्वाश को स्वतः बिना थकान और किसी परेशानी के साथ जितनी देर रोक के रखा हैं और धीरे धीरे श्वास के अंदर जाने ओर बाहर निकलने के वक्त को आप जितना कम कर लेते हैं ओर एक वक्त ऐसा होगा जब आपको महसूस ही नही होगा कि श्वास अंदर खिंची जा रही है या बाहर आ रही हैं उस अवस्था में आप जिस भी दिन पहुँच जाते हैं समझ लीजये अपने ध्यान को पा लिया हैं और वही ध्यान की पहली सीढ़ी हैं। 

आप जब शुरू में ध्यान करेंगे तो आपका मन बार बार हट सकता हैं लेकिन आपको बार बार कोशिश करनी होगी और ध्यान को एक जगह केंद्रित करना ही होगा। आपको थकना नही हैं आपको हमेशा ध्यान में बैठना हैं और करते रहना हैं। एक दिन या दस दिन के प्रयास से यह सिद्धि नही मिल जाने वाली हैं। ध्यान की सिद्धि तो बरसो के प्रयास से ही प्राप्त हो सकती हैं लेकिन प्रयास करना कहाँ मना हैं। ध्यान ना कर सके ये सोच कर प्रयास ना करना बेमानी होगा । 

भगवान शिव, तीर्थंकर महावीर ओर गौतम बुद्ध ने भी प्रयास ही किया था। उन्होंने भी ध्यान की सिद्धि को प्राप्त करने के लिए कभी तो पहला कदम रखा ही होगा। मंजिल को पाना है और दूरी को पार करने के लिए आपको पहला कदम तो रखना ही होगा। अगर हम पहला कदम ही ना रखेंगे तो मंजिल कैसे मिलेगी। रुकावटे बहुत आएगी, बाधा भी आएगी, आप परेशान भी हो सकते हैं कि ये हमसे ना हो पायेगा लेकिन आपके भगवान को याद कीजिये। छोटा बच्चा भी जब पहली बार चलना सीखता हैं तो पहला कदम तो रखता ही हैं। वो लड़खड़ाता हैं कई बार गिरता भी हैं लेकिन वो फिर से अपने कदम जमाता हैं कर चलने की कोशिश करता हैं। अगर हमें भी ध्यान की सिद्धि हासिल करनी है या थोड़ा सा भी ध्यान को सीखना हैं तो बहुत जरूरी हैं कि शुरुआत तो करनी ही पड़ेगी। 


ध्यान हर व्यक्ति के जीवन मे बहुत ही जरूरी हैं। ध्यान की आवश्यकता आज के दौर में तनाव और भागदौड़ भरी जिंदगी में बहुत ही आवश्यक हैं। पूरे दिन भर की भागदौड़ ओर मेहनत के बाद सोने से पहले 5 से 10 मिनिट का ध्यान और मेडीटेशन कर लेते हैं तो आपको सारी थकान को मिटा सकता हैं और सुबह एक नई ऊर्जा के साथ उठेंगे यर यही ऊर्जा आपको दिन भर सक्रिय ओर तंदुरुस्त रखेगी। 


स्कूल और कॉलेज के स्टूडेंट्स के लिए भी ध्यान बहुत जरूरी हैं जिनको भी सीखना चाहिए जिससे उनकी एकाग्रता बढ़ सके ओर पढ़ाई में मन लगा सके। पढ़ाई के अलावा भी यदि आप खेल का मैदान में हो या साइंस के प्रोजेक्ट, या नए अविष्कार या खोज या कॉम्पिटिशन एग्जाम हर जगह एकाग्रता की बहुत आवश्यकता हैं। जो व्यक्ति या विद्यार्थी ऐसा कर लेता हैं वो जीवन मे वो सबकुछ हासिल कर लेता हैं जो वो करना चाहता हैं। 


ध्यान हमे हमारे पूर्वजों का वरदान हैं और इसमें हमे अपने जीवन मे जरूर शामिल करना चाहिए। मेरा उद्देश्य मेरे रीडर को प्रोत्साहित करना हैं कि वो ध्यान को अपने जीवन मे अपनाए तथा अपने लक्ष्य की प्राप्त हो । 

मैं उम्मीद करता हु मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपके काम आएगी । आप आने सुझाव कमेंट बॉक्स में जरूर भेजे ये सराहनीय होगा । 

धन्यवाद। 









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