अनेकान्तवाद क्या हैं । इससे हमें सफलता कैसे मिलती हैं?
अगर बात की जाए 'अनेकान्तवाद' की तो यह एक ऐसा सिद्धांत हैं जिसका अगर हर व्यक्ति द्वारा पालन किया जाए तो हम देश की उन समस्या को जड़ खत्म कर सकते हैं जो छोटी छोटी बहस से उत्पन्न होती हैं ओर बाद में आगे बढ़ कर बड़े झगडे फसाद का रूप ले लेती हैं और कभी कभी समस्या इतनी गंभीर रूप ले लेती हैं कि मामला मरने ओर मारने तक पहुँच जाता हैं और कोर्ट कचहरी का रुख भी करना पड़ता हैं।
(१) है (२) नहीं है (३) है और नही है (४) कहा नहीं जा सकता (५) है किंतु कहा नहीं जा सकता (६) नहीं है और कहा जा सकता (७) नहीं है और कहा नहीं जा सकता
अनेकांतवाद क्या हैं -
आपने कई बार देखा होगा कि हम जब छोटे वाद विवाद करते हैं जो भले ही सकारात्मक हो लेकिन थोड़ी सी चूक की वजह से ये विवाद बढ़ते बढ़ते नकारात्मक हो जाते हैं और अंततः जगडे का रूप ले लेते हैं। हमने कई बार ये भी देखा हैं जब घर हो या सोसाइटी या फिर दफ्तर हो या स्कूल कॉलेज, हर जगह छोटी छोटी बातों को बढ़ते देखा हैं और विवाद को बड़े जगडे में परिवर्तित होते भी देखा हैं।
हमारा समाज भले ही शिक्षित और सहनशील क्यों ना हो लेकिन हम हमेशा अपनी बात को ऊपर रखना चाहते हैं। जब भी हम किसी बात की शुरुआत करते है वहां हमेशा ऐसा लगता हैं कि मैं ही सही जानकारी दे रहा हूँ और मेरी बात ज्यादा तर्क संगत मालूम पड़ती हैं। लेकिन जब हम सामने वाले व्यक्ति की बात को सुनते हैं और ऐसा लगता हैं कि उसकी बात ज्यादा तर्क संगत हैं तो हमे मान ही लेना चाहिए लेकिन ज्यादा मोको पर बात मानी नही जाती है और हम तर्क वितर्क करने लग जाते हैं। मैं जानता हूँ आप लोग ऐसा न करते हो लेकिन बहुत से लोग ऐसा बिल्कुल नही करते और अपनी बात को प्रमाणित करने में समय नष्ट करते हैं।
इसमे कोई बुराई नही हैं की हम अपनी बात को अच्छे से समझाए लेकिन वाद विवाद का हल सकारात्म ही होना चाहिए। लेकिन ऐसा बहुत कम देखने को मिलता हैं ।
मैं आपको एक ओर उदाहरण के माध्यम से समझना चाहता हूँ, दो व्यक्ति एक महत्वकांशी उद्देश्य के साथ कंपनी को खोलते हैं और अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाते हैं ओर अच्छे से ग्रोथ भी कर रहे हैं लेकिन दोनों में कंपनी के भविष्य को लेकर बात होती है ओर कभी कभार वो एक नतीजे पर नही पहुँच पाते जो कि सामान्यतया दो दोस्तों या शेयर होल्डर में होता हैं। हम भविष्य में होने वाली संभावित परियोजना के लिए अभी से निर्णय तो ले सकते लेकिन उसका स्वरूप कैसा होगा, क्या वो फलदाई होगी या नही, क्या आज का हमारा निर्णय सही होगा ये भी नही जानते फिर भी अगर दो शेयर होल्डर आपस मे बहस कर मनमुटाव लाते हैं तो वो गलत ही होगा । वहां उनको ये चाहिए कि मुटुअली बात का हल निकाले लेकिन उनमें थोड़ा वाद विवाद हो जाता हैं और ये फिर मन मुटाव में बदल जाता हैं और अन्ततः दोनों के रास्ते अलग होते हैं और बिज़नेस की पार्टनरशिप को खत्म करते हमने देखा हैं।
अनेकांत का अर्थ
मैने आपको ये उदाहरण इसलिए बताया कि आपको अनेकान्तवाद के सिद्धांत को समझने में आसानी हो जाएगी। इस सिद्धांत को आप इस तरह से समझ सकते हैं। अनेकान्तवाद शब्द को संधिविच्छेद कीजिये।
अन + एक + अंत + वाद = अनेकान्तवाद
इसका अर्थ ये हुआ की एक वाद या बात की अगर शुरुआत की जाए तो उसके अंत, अनेक हो सकते हैं। हमे अपने जीवन मे इस बात को अच्छे से समझ लेना चाहिए कि जब भी हम किसी से कोई भी बात करे भले आफिस हो, घर हो, स्कूल हो, कॉलेज हो या किसी ओर भी जगह उस बात का हम एक अंत तक नही पहुच सकते। हो सकता हैं आप का दृष्टिकोण उस बात पर सही हैं लेकिन सामने वाले का दृष्टिकोण भी दूसरे पहलू से बिल्कुल सत्य हो। जो आप देख रहे हैं वो वह व्यक्ति नही देख पा रहा हैं और जो वह देख रहा हैं उसको आप अनुभव नही कर पा रहे हैं। आप किसी एक नतीजे पर नही पहुच कर अपने अपने दृष्टिकोण पर बहस या विवाद करते हैं तो जगडे को बढ़ावा देता हैं।
जैसे कि आपने सुना होगा एक ढाक के तीन पात। मतलब जब भी कोई व्यक्ति बहस करता हैं और उसका नतीजा नही निकलता हैं ये कहते हैं सुना होगा ढाक के तीन पात। मतलब हम किसी नतीजे पर नही पहुुँचे ओर बात ज्यो की त्यों। जीवन मे बहुत सी बातें ऐसी होती हैं जिसके एक नही अनेक नतीजे निकलते हैं वो इसलिए की हम उस ज्ञान से अनभिज्ञ हैं।
अनेकान्तवाद का सिद्धांत भी हमे यही सिखाता हैं। अनेकान्तवाद को कुछ लोग स्यादवाद से जोड़ देते हैं जो कुछ हद तक एक से मालूम पड़ते हैं लेकिन इसमें पूर्णतया समानता नही हैं। स्यादवाद को कुछ लोग शायदवाद भी समझ लेते हैं । स्यादवाद क्या हैं ?
अनेकान्तवाद को हम एक छोटी सी कहानी से समझ सकते हैं।
सप्तभंगीनय सिद्धांत
एक बार किसी गांव में एक अजीब से जानवर को लाया गया जिसे की हाथी कहते हैं। चूंकि गांव में रहने वाले कुछ अंधे व्यक्तिओ ने हाथी को नही देखा था इसलिए उन्होंने निर्णय लिया कि वो हाथी को स्पर्श कर निर्णय लेंगे की आखिर हाथी कैसा दिखता होगा।
सभी अंधे व्यक्तियो को हाथी के पास ले जाया गया और उन्हें हाथी के शरीर के अलग अलग हिस्सों को स्पर्श करने को कहा गया। पहले व्यक्ति ने हाथी के सूंड को हाथ लगाया, दूसरे व्यक्ति ने हाथी के कान को, तीसरे व्यक्ति ने हाथी के दांत को स्पर्श किया, चौथे व्यक्ति ने हाथी के पैर को स्पर्श किया, पांचवे व्यक्ति ने हाथी के पेट को ओर छठे व्यक्ति ने हाथी की पूंछ पकड़ा कर स्पर्श किया।
बाद में उन लोगो ने अपने अनुभव से बताया कि हाथी कैसा दिखता हैं तो पहले व्यक्ति जिसने हाथी की सूंड को पकड़ा था उसे लगा कि उसने किसी अजगर या सांप जैसी कोई जीव को छुआ हैं ओर शायद हाथी वैसा ही दिखता हैं । लेकिन दूसरे व्यक्ति को लगा कि उसने किसी सुंपडे या हाथ पंखे को स्पर्श किया है और हाथी वैसा ही मालूम पड़ता हैं वही तीसरे व्यक्ति जिसने हाथी के दांत को पकड़ा था उसे लगा कि हाथी शायद तीखे भले जैसा हैं । उसी प्रकार चौथे व्यक्ति ने जिसने हाथी के पैर को छुआ उसे अनुभव हुआ कि उसने की खंभे को पकड़ा हैं, पांचवे व्यक्ति जिसने हाथी के पेट को स्पर्श किया उसे लगा कि वो किसी दीवार के सामने खड़ा है, और अंत मे छठे व्यक्ति जिसने पूंछ को छुआ उसे लगा कि उसने किसी रस्सी को हाथ मे पकड़ा हैं।
अब आपको इस उदाहरण से अच्छे से समझ आ गया होगा कि अनेकान्तवाद क्या हैं और वो छह अंधे व्यक्ति बिल्कुल ही सच बोल रहे है, ओर उन्होंने जैसा अनुभव किया वो बिल्कुल ठीक हैं लेकिन सच्चाई ये हैं कि उन पांचो ने जिसको छुआ वो एक हाथी था। उसी प्रकार हमारे जीवन मे भी हम अनेक पहलुओं पर चर्चा करते है और इस बात से अनभिज्ञ होंते हैं कि सच्चाई क्या हैं। हो सकता हैं हम जिस दृष्टिकोण किसी वस्तु को देख रहे है उसी वस्तु को दूसरा व्यक्ति किसी ओर दृष्टिकोण से देख रहा हैं।
सारांश - अनेकान्तवाद का सिद्धांत का तात्पर्य ये हैं कि हम सच्चाई के अनभिज्ञ होकर वाद विवाद करते हैं उससे हमे बचना चाहिए और जिंदगी में हमेशा ही याद रखना चाहिए कि अनेकान्तवाद कितना जरूरी है आज की आधुनिक भागदौड़ तथा असहनशील दुनिया मे।
अगर इस सिद्धांत को हम अच्छे से समझ लेते हैं तो फिर जीवन मे कभी भी उल फ़िज़ूल के जगडे या विवाद में नही पड़ोगे ओर अपना मन शांत रख सकोगे। जीवन मे आगे बढ़ने के लिए ये बहुत जरूरी हैं कि हम फिजूल की बहस में ना पड़ कर अपने काम पर ध्यान देना चाहिए । हमे अपने शरीर और दिमाग की ऊर्जा अच्छे विचारों और नए कामो में लगानी चाहिए जिससे कि आगे बढ़ सके और जीवन मे हमने जो सपने देखे हैं उनको पूर्ण कर सके। अनेकान्तवाद के सिद्धांत को में सफलता की दूरी सीढ़ी मानता हूं। सफलता की पहली सीढ़ी के बारे में मैंने अपने पहले के ब्लॉग पहला सुख निरोगी काया में जिक्र किया था। जिसे की जीवन मे सफलता की पहली सीढ़ी के रूप में देखा जा सकता हैं।
मैं उम्मीद करता हूँ मेरे द्वारा दी गई जानकारी से आप संतुष्ट होंगे। अगर आप अनेकान्तवाद के सिद्धांत पर अपनी प्रतिक्रिया देने चाहते हैं तो प्लीज कमेंट बॉक्स में प्रेषित करे। ये आपका सराहनीय कदम होगा।
धन्यवाद।
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