अस्तेय क्या हैं ? meaning of Astey in Hindi

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अस्तेय का शाब्दिक अर्थ हैं चोरी न करना इसका मतलब सिर्फ ये नही की धन की चोरी न करना, अपने मन, वचन तथा कर्म से से भी किसी ओर की संपत्ति को हासिल ना करना ही अस्तेय हैं। 

लेकिन अस्तेय एक दर्शन हैं और उसे व्यापक रूप से देखने और समझने की जरूरत हैं। चोरी न करना मतलब, क्या सिर्फ किसी के घर की दीवार फांदकर, तिजोरी तोड़कर धन चुराना ही चोरी हैं ? नही, यदि हम किसी व्यक्ति के साथ छल, कपट अथवा धोखा देकर उसके धन को, उसके विचारों को, उसकी किसी खोंजे या रिसर्च को चुराते है वो भी चोरी ही हैं।

किसी दूसरे व्यक्ति के हक को छीनना, उसके अधिकारों का हनन करना भी चोरी हैं। ये एक अपराध हैं। जैसे कि बहुत सी सरकारी योजनाए गरीब कल्याण के लिए बनती हैं लेकिन उसका लाभ गरीबो तक नही पहुँच पाता और बीच मे ही अधिकारियो द्वारा तथा अन्य व्यक्तिओ द्वारा झूठे आवेदन द्वारा उनका हक मार लिया जाता हैं। 

आपने कई बार देखा होगा खाद्य सुरक्षा में अनाज वितरण में कितना घोटाला हैं और राशन वितरण करने वाले ही गरीबो का हक मार देते हैं। उसके अलावा भी जो गरीब नही हैं उनके भी जूठे आवेदन गरीबो का हक मारने का काम कर रहे हैं।

अस्तेय को स्वीकार करने का अर्थ हैं अपने परिश्रम तथा हक से प्राप्त किया गया ही आपका हैं लेकिन हक जमाकर नही। यदि किसी वस्तु पर आप जबरदस्ती हक जमाते हैं तो फिर ये एक चोरी हैं। यदि कोई वस्तु आपको दी जाए या आपको उसे प्राप्त करने की अनुमति हैं तभी आप उसे ग्रहण करे। 

अस्तेय जैन धर्म के पांच महाव्रत में से एक हैं। यदि जैन धर्म के दृष्टिकोण से देखा जाए तो अस्तेय का अर्थ होता हैं जब तक कोई वस्तु आपको न दी जाए उसे ग्रहण न करना" अर्थात कोई वस्तु अथवा विचार आपके सामने जब तक रखा न जाए या दिया न जाए तब तक उस वस्तु के बारे में सोचना, उसे पाने की इच्छा रखना या उस वस्तु को छल कपट से भी प्राप्त करने की सोचना पाप हैं। 

अपने देखा होगा ये महाव्रत जैन मुनि इसका पालन करते हैं और भोजन भी जब तक दिया न जाए तब तक ग्रहण नही करते। इन पांचों महाव्रतों का पालन करना उनके लिए अनिवार्य हैं। ये पांच महाव्रत हैं सत्य, अहिँसा, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य। 

अस्तेय तथा अपरिग्रह का क्या संबंध है,
शाब्दिक अर्थ की बात की जाए तो अस्तेय का अर्थ हैं चोरी न करना या जब तक आपको कोई वस्तु न दी जाए उसे ग्रहण न करना। अपरिग्रह का अर्थ हैं वस्तुओ से टूटना अथवा उससे मोह भंग करना और उससे किस प्रकार का लगाव ना रखना। 





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