जीवन मे अनुशासन की आवश्यकता Importance of discipline

सफल जीवन के लिए अनुशासन बहुत जरूरी हैं ये आप सभी जानते हैं। मैं यहां पर जीवन मे अनुशासन की आवश्यकता पर चर्चा कर रहा हूँ ओर भाषा बहुत ही सरल हैं जिससे सभी को आसानी से इसके महत्व को समझा सकूँ। 


अनुशासन का अर्थ एवं परिभाषा 
आपने ये तो सुना ही होगा कि जीवन मे सफलता की पहली कुंजी अनुशासन ही हैं।  तो फिर आखिर ये अनुशासन हैं क्या ? अनुशासन को हम इस तरह से समझ से सकते हैं, हमें किसी भी कार्य को करने से पहले उसे नियमबद्ध कर लेना चाहिए ओर उसको पूरी ईमानदारी से पालन करते हुए पूरा करना चाहिए। नियमबद्ध करने का अर्थ हैं उसे नैतिकता से जोड़ना ओर नैतिकता बनती है नीतिओ से। तो हमे अपने कार्य को करने से पहले अच्छे नीति नियम बनाये जाने चाहिए और उसे पूरा करने के लिए ईमानदारी से पालन करना चाहिए। यदि हम ऐसा करते हैं तो अनुशासित कार्य कहलायेगा ओर यही अनुशासन होगा। 

अनुशासन के प्रकार
अनुशासन को हम दो भागों में अलग अलग समझ सकते हैं। पहला बाह्य अनुशासन और दूसरा आंतरिक अनुशासन। बाह्य अनुशासन से आशय हैं कि हम रोजमर्रा के जीवन में किस तरह व्यवहार करते हैं जैसे कि विद्यार्थी स्कूल जाता हैं, कोई आफिस में काम करता हैं, कोई सड़क पर वाहन चलाता हैं। तो हम क्या वहां बने हुए नियम का सही से पालन करते हैं क्या ? ये सवाल अपने आप से पूछना चाहिए। 

दूसरा आता हैं आंतरिक अनुशासन। आंतरिक अनुशासन से ये अर्थ हुआ कि हम अपने भीतर से कैसे हैं। क्या हम संयमित है, क्या हमें अपनी इच्छाओं को काबू में किया हैं। क्या हमने अपने अंदर छिपे काम, क्रोध ओर मोह को काबू किया हैं। इसको सुधारा जा सकता हैं। इसके लिए हमे प्राणायाम करना पड़ेगा। आंतरिक रूप से अनुशासित हुआ जा सकता हैं। 



व्यक्तिगत जीवन मे अनुशासन का महत्व
जीवन में यदि किसी लक्ष्य को हासिल करना हैं तो ये बात अतिमहत्वपूर्ण है कि हमे अनुशासित होना होगा। हमे उन नियमो ओर नीतिओ का पालन करना ही होगा जिससे सफलता मिल सके। 

अनुशासित जीवन के साथ साथ अनेकान्तवाद के सिद्धांत को अपने जीवन मे जरूर लागू करे। ये एक ऐसा सिद्धांत हैं जो आपके जीवन के जीने के ढंग को बदल देगा। 

अनुशासन का मतलब सिर्फ यही नही हैं कि हमारे स्वयं के द्वारा बनाये हुए नियम पर ही चलना है और लक्ष्य को प्राप्त करना हैं। नियम और नीतियां हमारे समाज के द्वारा, हमारी सरकार के द्वारा ओर हमारे धर्म के द्वारा भी बनाये जा सकते हैं। हम कुछ कायदों ओर नियमो से ऐतराज हो सकता हैं लेकिन ये हमारा नैतिक कर्तव्य हैं कि हम आने अनुशासन का परिचय दे और पालना करे। 

जैसे कि traffic के नियम सबके लिए बराबर हैं और सभी वाहन चलाने वाले के हित मे भी लेकिन कुछ लोगो द्वारा अनुशासन को तोड़ना बहुत ही महंगा पड़ सकता हैं। अनुशासन को तोड़ कर लोग अपनी जान जोखिम में डालते हैं। विद्यार्थियों को स्कूल में बनाये गए अनुशासन के नियमा का पालन करना चाहिए। 

जीवन मे धर्म का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है और हम सभी जानते ही कि इसकी पालना हम कैसे करते हैं। मंदिरों में भी वहाँ अनुशासन में रहते हैं और नियमो का अनुसरण करते हैं। 

शिक्षा में अनुशासन का महत्व
अनुशासन का मतलब ये नही की टीचर बोले अनुशासित रहे और विद्यार्थी सीधा चुपचाप तन कर बैठ जाए ये एक छोटा सा उदाहरण हो सकता हैं लेकिन किसी के डर या भय से नियमो का पालन करना अनुशासन नही हैं। ये तो सिर्फ अपने अंदर खुद से ही आता हैं। व्यक्ति को ईमानदारी से अपने मन से दिल से नियमो ओर नीतियों को अनुसरण करना चाहिए। 

मैं आपको एक उदाहरण से समझना चाहता हूं। यदि एक विद्यार्थी ये निर्णय करे कि उसे इस वर्ष क्लास में पहली रैंक हासिल करनी है। तो वह विद्यार्थी दिन रात पढ़ाई करने लगता हैं। लेकिन सिर्फ पढ़ाई कर लेने से ही उसे सफलता नही मिल जाएगी उसके लिए उसे सबसे पहले एक समय सारणी बनानी पड़ेगी । उसे नियत समय मे होमवर्क करके थोड़ा समय परीक्षा की तैयारी के लिए निकलना पड़ेगा। उसे अपना टाइम टेबल इस तरह सेट करना पड़ेगा जिसमे वो पढ़ाई की साथ खेल कूद, खाना पीना, समय पर उठना ओर सोना आदि को सम्मिलित करना पड़ेगा। 

लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण हैं Time Table बनाने के बात उसकी अनुपालन करना। उसको ईमानदारी के साथ follow करना और अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करना। यदि आप ऐसा करने में सफल हो पाते हैं तो इसे अनुशासन ही कहा जाएगा और अनूशासित जीवन ही सफलता का मुख्य आधार हैं। 



अनुशासन की आवश्यकता क्यों ? 
अनुशासन व्यक्ति को नियमो ओर नैतिक कर्तव्यो से जोड़ कर रखता हैं। सफल जीवन के लिए हमे उचित दिनचर्या ओर मार्गदर्शन की आवश्यकता होती हैं। यदि हम अपने से बड़ो और समाज के प्रभुत्व व्यक्तिओ या सफलतम व्यक्तिओ द्वारा बनाये गए सिद्धान्त या आदर्शो का पालन करते हैं तो जीवन मे सफल होने का मार्ग प्रशस्त हो जाता हैं। 

यदि हम महापुरुषों ओर समाज मे प्रभुत्व या सफलतम व्यक्तिओ की जीवनी को पढ़ते हैं तो सबसे पहले यही मालूम पड़ता है कि उन्होंने कठिन संघर्ष किया हैं लेकिन साथ ही साथ अनुशासनात्म जीवन जिया हैं। एक आदर्श जीवन की परिभाषा को बनाया हैं। ओर उन्ही आदर्शो का पालन कर ओर भी कई लोगो ने अपनी जीवनचर्या को बदला हैं। 

एक सामान्य सी बात हैं जो हमने अपने से बड़ो से सुनी हैं कि सुबह जल्दी उठना चाहिए और पांच से दस मिनिट का ध्यान भी करना चाहिए। हमेशा नहाना चाहिए, अपने से बड़ो ओर गुरुजनों का सम्मान करना चाहिए। माता पिता की कही बात को मानना चाहिए और बहुत सी ऐसी बातें हैं जो हमे सिखाई जाती रही हैं। लेकिन ये बात सच हैं कि इन सभी बातों का कोई पालन नही करते हैं। 

सभी व्यक्ति चयनात्मक हैं। सभी व्यक्ति अपनी ही मनमानी करते हैं। माता पिता अपने बच्चो को डांट फटकार या पिट कर कुछ आदर्श बातो को मनवा लेते हैं, अध्यापक भी बच्चो को समझा देते हैं लेकिन हम सभी जानते हैं कि बच्चो में कितना असर पड़ता हैं। सभी बच्चे अनुशासित नही होते और सभी बच्चे एक जैसे भी नही। 

जो व्यक्ति अपने जीवन मे अनुशासन का पालन करता हैं वो अपने लक्ष्य को तो प्राप्त करता ही हैं लेकिन साथ ही साथ उसे समाज मे उचित सम्मान अथवा इज्जत भी मिलती हैं। दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि जो व्यक्ति समाज मे उचित इज्जत पा रहा हैं या उसने कोई सफलता या लक्ष्य हासिल किया हैं तो वो जरूर ही अनुशासित होगा और उसने इसके पीछे कड़ी साधना और मेहनत करी होगी। बिना मेहनत और तपस्या के कुछ भी हासिल नही होता। 


जीवन मे आप जो भी बनना चाहते हो उसके पीछे एक अनुशासन की आश्यकता होती हैं। हमने देखा हैं सबसे अच्छा अनुशासन देश की army ओर उसके जवान फॉलो करते हैं। अनुशासन का सबसे अच्छा उदाहरण इसी का दिया जा सकता हैं। 

इसके अलावा यदि कोई खेल हो और वो टीम जीतती है तभ भी हम कहते है कि खेल सबसे अच्छा था और अनुशासन से खेला गया। 

ऐसे बहुत से उदाहरण है जो अनुशासन के ऊपर दिए जा सकते हैं ओर उससे हमे शिक्षा मिलती हैं कि सफल जीवन के लिए अनुशासन कितना आवश्यक हैं। या यूं कह दीजिये अनुशासनात्मक रहना ही जीवन हैं । 
 





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