अनुशासन के सिद्धांत Fundamental of discipline

अनुशासन के सिद्धांत
जैसा कि पहले बताया गया है अनुशासन दो प्रकार का हैं। बाह्य अनुशासन और आंतरिक अनुशासन। अनुशासन को हम रोजमर्रा के जीवन मे पालन करते हैं लेकिन सभी व्यक्ति अनुशासित नही हैं और लोगो को इसका पालन करवाया या सिखाया जाता हैं जोकि समाज के हित में होता हैं। अनुशासन के सिद्धांत इस प्रकार हैं।
1. दंडात्मक अनुशासन
इस प्रकार में अनुशासन में लोगो को भय या डर के माध्यम से अनुधासन के पालन के लिए मजबूर किया जाता हैं। जैसे कि सड़क पर ट्रैफिक नियमो का पालन करना या स्कूल में स्टूडेंट्स को डर या भय से अनुशासित करना। इस प्रकार से लोग अनुशासन का पालन तो कर लेंगे लेकिन जैसी ही वो डर मुक्त या भय से बाहर होंगे वे अनुशासनहीन हो जाएंगे। इस प्रक्रिया से कुछ लोगो को या विद्यार्थियों को सुधारा जा सकता हैं लेकिन ये सभी के लिए कारगर नही होगी ऐसा भी माना जाता हैं।
2. प्रोत्साहित या उत्साहित करके
इस प्रकार के प्रयोग से लोगो को प्रोत्साहित या उत्साहित किया जाता हैं कि वे अनुशासन का पालन करे। समाज मे सफल व्यक्तिओ का उदाहरण देकर तथा लोगो मे अनुशासित जीवन के फायदों की चर्चा करके लोगो को अनुशासित किया जा सकता हैं। सफल एवम रोगमुक्त समाज के लिए जरूरी हैं कि अनुशासित जीवन को जिये। हमने देखा हैं कि वरिष्ठ राजनेताओ, धर्म गुरुओं एवं शिक्षकों द्वारा भी लोगो को अनुशासित जीवन के लिए प्रेरित किया जाता हैं और इसका जीवन मे आमूलचूल परिवर्तन भी होता हैं।
3. नैतिकता के तौर पर
इस सिद्धांत में लोगो को अपने नैतिक मूल्यों और कर्तव्य को याद दिलाना हैं । इस बात के लिए जागरूक किया जा सकता हैं कि उनकी मानवता के प्रति क्या कर्तव्य हैं और अनुशासन का जीवन मे कितना योगदान हैं। लोग जरूर जागरूक होते हैं और जीवन मे बदलाव के लिए तैयार रहते हैं। भले ही हमारा समाज कैसा भी हो (शिक्षित या अशिक्षित) लोग अपने नैतिक मूल्यों के आधार पर बदलाव को जरूर स्वीकार करते हैं। अनुशासन का महत्व स्वयं के साथ साथ समाज के लिए भी जरूरी हैं और हमसे ही समाज हैं और देश हैं।
4. Reward या इनाम देकर
ये सिद्धांत थोड़ा सा अलग दिखता हैं लेकिन बड़ा ही कारगर हैं। हमने जैसे स्कूलों में देखा हैं कि कई प्रकार की परीक्षायें प्रायोजित की जाती हैं और प्रथम आने वालों को पुरुस्कृत किया जाता हैं। जो ओर वर्ष अनुशासित रहता हैं जिसकी उपस्थिति सबसे अच्छी हैं उसे भी पुरुस्कृत किया जाता हैं।
इसी प्रकार समाज मे भी ग्रामीण तथा पंचायत स्तर पर अनुशासित व्यक्ति को सम्मानित किया जाता हैं और कई मोको पर इनाम भी दिया जाता हैं। इनाम या reward देने का मकसद दूसरे लोगो को भी प्रोत्साहन देना हैं कि वो भी अनुशासन को follow करे और अनुशासित समाज का निर्माण हो सके।
5. अनुदान देकर
ये एक नया ओर बिल्कुल अलग तरीका हैं लेकिन इसको हम अनुशासन के सिद्धांत के तौर पर देख सकते हैं। इस प्रकार से लोगो को अनुदान दिया जाता हैं जिससे लोग जीवन मे अनुशासित होने के लिए अतिप्रोत्साहित हो सके। हमने देखा हैं कि सरकार बहुत प्रकार की सामाजिक विकास की योजनाओं में अनुदान देती हैं । जैसेकि उज्वला योजना के अंतर्गत free में गैस चूल्हा ओर सिलेंडर बांटना । इसका मकसद ये हैं कि लोग पारम्परिक लकड़ी ओर कोयले के इस्तेमाल को बंद कर गैस चूल्हों को उपयोग करे जिससे कि पर्यावरण को बचाया जा सके। ये हमारा नैतिक कर्तव्य हैं पर्यावरण के प्रति। इसके अलावा स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब वर्ग के बच्चो को भी विभिन्न अनुदान देकर प्रोत्साहित किया जाता हैं।
इन सिद्धांतों को हम अनुशासित जीवन से जोड़ के देख सकते हैं। ओर इनका हमारे जीवन मे बहुत योगदान रहेगा।
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