खम्मा घनी या धणी खम्मा का अर्थ
यह शब्द राजपूत संस्कृति का हिस्सा हैं और ज्यादातर राजा महाराजो और रजवाड़ो में छोटे लोग खम्मा घणी कह कर किसी बात को बोलते थे। आज ये शब्द इतना प्रचलित हो गया है कि हर जगह जब राजस्थान की बात होती हैं तो लोग अभिवादन के तौर पर घणी खम्मा कह देते हैं ओर आजकल टीवी सीरियल आदि में भी इसका जोर शोर से प्रयोग करने लग गए हैं।
ज्यादातर लोग घणी या धणी खम्मा को अभिवादन के तौर पर प्रयोग करने लग गए हैं ओर इसको नमस्ते, सलाम वालेकुम आदि के जैसा मानते हैं जो की बिल्कुल गलत हैं।
खम्मा का अर्थ होता हैं 'क्षमा' या माफी मांगना और धणी शब्द को कुछ लोग गलती से घणी कह के बोलने लग गए हैं। धणी शब्द का अर्थ होता हैं मालिक ।इसलिए सही शब्द हुआ धणी खम्मा अर्थात 'मालिक माफ करना' ओर फिर व्यक्ति अपनी बात रखता हैं। अगर अंग्रेज़ी में सही सही कहा जाए तो इसका अर्थ हुआ एक्सक्यूज़ मी प्लीज अर्थात कृपया मुझे क्षमा करे।
आजकल लोग अल्पज्ञान या परंपरा का पूर्ण जानकारी न होने की वजह से लोग अर्थ का अनर्थ बना देते हैं। आजकल पढ़े लिखे लोग भी इसी गलती का शिकार हैं और गर्व से खम्मा घणी बोलने लगे गए हैं। आजकल राजस्थान में किसी भी होटल या रेस्टॉरेंट में चले जाओ आपको वहां खम्मा घणी कह कर स्वागत करते यानी वेलकम करते है जोकि बिल्कुल सही नही बैठता।
राजस्थान में आज भी जो बड़े रसूख वाले लोग या नेता या बड़े घराने के लोग खम्मा धणी बुलवाना पसंद करते हैं। मतलब आपसे कोई गलती न हो जाए उससे पहले ही माफी मांग लोग जैसे इंगलिश में एक्सक्यूज़ मी कहने का रिवाज हैं।
राजा रजवाड़ो के जमाने मे निम्न स्तर के गरीब लोग या राजा महाराजो से ताल्लुक रखने वालों को छोड़ के सभी लोग पैरों की जूती के समान थे उनकी कोई इज़्ज़त नही थी। अगर उनको बोलना भी पड़ता था तो नज़रे नीची जमीन पर झुका कर अपनी बात कहनी पड़ती था।
आज भी आप राजा राजवाड़े, या नेता या रसूख वालो को देख लो पता चल जाएगा। यदि किसी को अपनी बात कहनी हैं तो सबसे पहले तीन बार खम्मा घणी बोलेगा ओर फिर मुंह पर हाथ रख कर बात करेगा और नज़रे तो नीचे ही रहेगी।
इस आर्टिकल को पढ़ने का बाद यदि आपको कही खम्मा घणी बोलना पड़ जाए तो कैसा लगेगा कमेंट करके जरूर बताना। आपको खम्मा धणी या खम्मा घणी का सही सही अर्थ मालूम चल गया होगा।
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